लगभग साल भर से अधिक हो गया था ब्लॉग पर कुछ पोस्ट किये हुए. सबने कहा
कुछ ब्लॉग पर भी लिख लिया करो, लेकिन इतनी लम्बी पोस्ट दिमाग में आ ही नहीं रही
थी.. एक दो दफे आई भी तो अकेली ही आई.. बाकि संगी साथियों को कहीं छोड़ आई .. बुआ की घुड़की,
चाचू का आदेश , अभिषेक भैया, शेखर भाई, मुक्ति दीदी और शिवम् दद्दा की पोस्ट्स भी
कारगर नहीं हुयी .. फिर कल रात अचानक रश्मि दी का स्टेटस पढ़ा .. क्या दिल्ली क्या
लाहौर फिल्म वाला. शुरुआत ने ही दिमाग की बत्ती जला दी.. गुलज़ार के लफ्ज़ आँखों तक को
अजीब सा सुकून देते हैं ..
लकीरें हैं तो रहने दो,
किसी ने रूठकर, गुस्से में शायद खींच दी थीं....
अजीब कशिश हैं इन शब्दों में ... एक वक़्त था .. जब ये जुबान पर लार की
तरह चढ़े हुए थे ..समय के साथ उतर भी गए .. लेकिन गुलज़ार तो हमेशा ही गुलज़ार रहे
हैं. भूलना नामुमकिन हैं उन्हें, बस याद आने की देर थी.. फिर तो गुलज़ार ही गुलज़ार
हैं कल रात से .. बज बज के स्पीकर को पसीना आ गया .. लेकिन दिल है की मानता नहीं
...
इस पोस्ट ने कुछ यादें ताज़ा कर दीं .. पाकिस्तान .. हिंदुस्तान ..
बहुत कुछ....
बात ऑरकुट के ज़माने की है. जैसे सभी अलग अलग नाम रखते थे, वैसे ही
मेरा भी नाम असल न होकर स्टाइलिश टाइप था ...Indominant_Man...हम तीन दोस्त थे,
दो लड़के, एक लड़की .. नाम नहीं जानते थे एक दूसरे का, पता भी नहीं .. सिर्फ उम्र,
पसंद, काम वगैरह ... हमारे बीच एक अघोषित समझौता था कि कोई किसी की पहचान जानने की
कोशिश नहीं करेगा.. तो इस तरह हम तीन थे.. मैं यानि Indominant_Man, Cute
Tigress और Black Hawk.. तीनो के अलग अलग शौक.. सिवाय दो के जो
कॉमन थे ..क्रिकेट और म्यूजिक ...खूब मस्ती होती थी .. स्क्रैप स्क्रैप खेलते थे
.. अन्ताक्षरी और क्रिकेट भी हो जाता था ऑनलाइन ... बहुत ही अच्छी दोस्ती हो चुकी
थी हमारी.. Black Hawk थोडा राष्ट्रवादी टाइप था और अक्सर हमसे उसकी बहस हो जाया करती थी की
एशिया में अमेरिका क्या चाहता है वगैरह वगैरह ..मैं और Cute Tigress एक तरफ रहते थे और हम अमेरिका के मन की न जान
पाने का अफ़सोस न करते हुए खुद को देश के काबिल बनाने की सोचते थे.. वहीँ Black
Hawk हमेशा अमेरिका को
सबक सिखाने जैसी बातें किया करता था. कट्टर होने जैसी दुर्गन्ध आने लगी थी जो
हमारी दोस्ती में कडवाहट लाती जा रही थी .. Cute Tigress भी परेशान थी और मैं भी .. उम्र भी ज्यादा नहीं
थी कि हम ऐसे मामलों की पेचीदगी समझ पाते. खैर, एक दिन मैंने अपनी तस्वीरें पोस्ट
की .. तस्वीरों को देख कर पता चल गया की मैं हिंदुस्तान में रहता हूँ.... Cute
Tigress जहां इस बात से खुश थी कि उसका कोई अच्छा दोस्त
भारत में भी है वहीं Black Hawk बेहद दुखी .. उसने दो दिन बाद मुझसे बात करना बंद
कर दिया. Cute Tigress की पहल पर एक बार फिर बात
हुयी तो पता चला की Black Hawk और Cute Tigress दोनों पाकिस्तान के रहने वाले हैं. Black
Hawk इस्लामाबाद और Cute
Tigress कराची की रहने वाली थी. उस दिन Black
Hawk ने साफ़ शब्दों में
कह दिया कि वो एक हिन्दुस्तानी से बात नहीं कर सकता.. बुझे मन से हम दोनों ने
अलविदा कहा ...और Cute Tigress के साथ
भी दोस्ती लगभग डेढ़ महीने बाद ख़त्म हो गयी. उस दिन से इस बात का हमेशा अफ़सोस रहा
कि काश हमने अपनी पहचान न बताने की सोच कायम न की होती.. काश हमने एक दूसरे के
बारे में जान कर दोस्ती की होती तो शायद आज दो अच्छे दोस्त न खोता .. दो देशों के
बीच कम से कम एक इन्सान के हिस्से का प्यार तो दे पाता..ऐसे बहुत से मलाल आज भी
यादों की गलियों में टहलते मिल जाते हैं.. लेकिन क्या करें.. जो होना था वो तो हो
चुका था.
उसके बाद तमाम दोस्त बने .. तमाम छूटे भी, लेकिन कसक रह गयी…उसके बाद बहुत से
किस्से हुए भारत पाकिस्तान से जुड़े हुए .. लेकिन जब भी दोस्त और इन दो देशों का
ज़िक्र आता है, बरबस ही एक मायूस हवा साँसों में घुल जाती है ...हौले से... विभाजन
का दंश सिर्फ हमने नहीं झेला ... नफरत सिर्फ हम नहीं झेलते ... सैनिक सिर्फ हमारे
नहीं मरते .. मरता तो है लेकिन तिल तिल कर किसी का ज़मीर ,,, उस पर जब गुलज़ार साहब
ऐसी कोई नज़्म लिख देते हैं तो बरसों तक उस दर्द की टीस जाती नहीं .. बस जाती है
...
बहुत पहले लिख चुका था ... फिर से पढ़िए ,, :) जानता हूँ .. अच्छी नहीं है .. लेकिन
झेलना तो पड़ेगा ... :-P
सरहद :
कानो में आवाज़ पड़ी कई दफे ,
जो दुनिया में आता है,
एक ना एक दिन वो चला जाता है,
लेकिन एक सवाल टहलता है ,
ज़हन की गलियों में अक्सर,
सरहदों को जवाँ होने क्यूं दिया जाता है ???
कहते हैं लोग अक्सर दबे छिपे,
कोख में ना मरो इक जान को,
कितने ही पर्चे ,कितने परदे
रंग डाले सिखाने को ये बात इन्सान को,
बेजन्मी जान के लिए इतना कुछ किया जाता है.
कोई बताये, जिंदा रूहों के कौम में ,
सरहदों को पैदा होने ही क्यूं दिया जाता है ???
कहते हैं आबादी बढाओगे ,
तो दुनिया की बर्बादी बढाओगे ,
जितनी ज्यादा गिनती होगी ,
कम-असर रब से उतनी ही अपनी विनती होगी ,
लेकिन एक जवाब जो मेरे दर तक नहीं आता है,
सरहदों को धरती की कोख में ,
आखिर कोई ले कर ही क्यूं आता है ???
आखिर इन्सान इधर भी रहते हैं ,
आखिर इन्सान उधर भी रहते हैं ,
वही हवा ,वही फिजा,
वही बदल. वही धुंआ,
वही आग और वही पानी से नाता है ,
तो फिर,परदेस से आने वाला आमिर कोई,
किसलिए रिश्ते नहीं, सरहदें मज़बूत बनता है???? (आमिर= leader)
पल दो पल रुक जाता है,
अमन का कारवां किसी शहर में ,
दो पल खुशियाँ बिखेर कर,
दो पल चैन सुकून मकबूल कर कर ,
राह जो अख्तियार की थी, करनी है ,
उससे भूल कर किसी दूसरे जहाँ में भटक जाता है ,
और जाते जाते तोहफे में ,
एक नयी सरहद दे जाता है ,
एक नयी सरहद दे जाता है .....
(https://m.facebook.com/notes/nitish-k-singh/%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%A6/10150295270164355/?refid=21 )