ये मेरी बेटी की तस्वीर है , और वो उसके निप्पल हैं।
न्यायोचित व्यव्हार करते हुए मैं तुमको तैयार होने के लिए कुछ मिनट देती हूँ।
हाँ, मेरी बेटी !!
हाँ, उसके निप्पल !!
मैं यहाँ तब तक ज़रा इंतज़ार कर लूँ, जितनी देर में तुम मेरे बारे धारणा बना कर बड़बड़ाओगे, लार टपकाओगे, चिल्लाओगे या कोई भी उचित/अनुचित प्रतिक्रिया दोगे।
अब तक इंतज़ार कर रही हूँ।
चलिये समय ख़त्म हुआ, थोड़ा वास्तविक हो जाते हैं।
सबसे पहली बात, तुमको निप्पल पसंद हैं। इन्हें बचपन में स्तनपान के दौरान तुमने चूसा होगा, पोर्न फिल्मों में देखा होगा या फिर खुले में स्तनपान करवाती किसी बहादुर औरत की कृपा से तुमको दिख गए होंगे। शायद तुम स्ट्रिप क्लब भी गए हों। मैंने तो तुमको मेरे स्तनों को घूरते हुए भी देखा है।
और हाँ, मेरे वाले भी बुरे नहीं हैं।
पुरुषों के निप्पल हर जगह दिखते हैं। बीच पर टहलते हुए, समर कार्निवाल में घूमते हुए। ऐबेरकॉम्बी ऐड में। बिलबोर्ड्स पर। मेन रोड में जॉन डेरे पर बैठे हुए मिडिल एज्ड तोंद के ऊपर कायदे से टिके पुरुष के निप्पल। हाँ, वही..... काम करते हुए पुरुष के।
सिर्फ महिलाओं के निप्पल होते हैं जिनसे हमें शर्मिंदगी होती है, हम झेंपते हैं। ज़्यादा लैंगिक असमानता, औरतों को आवरणयुक्त, खामोश, कमतर बनाये रखने के लिए। इक्कीसवीं सदी में बुर्क़ा भी यही करता है। स्तन के मामले में कपड़े छोटे हैं, सोच वही है। छोटी।
खैर, मैं मुद्दे से भटक रही थी। इस तस्वीर का इन बातों से कोई ख़ास लेना देना नहीं है।
मेरी बेटी तो कहती है, FUCK THAT!! (लानत है)! और हाँ, वो लानत है !! तुम्हारे लिए नहीं कहती। बल्कि उसे तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम उसके स्तनों और निप्पल के बारे में क्या और किस तरह सोचते हैं।
मेरी बेटी की ये तस्वीर कोई पोलिटिकल स्टेटमेंट नहीं है, न ही कोई सेक्सुअल स्टेटमेंट। न ही ये तुम्हारे बारे में है और न ही तुमसे किसी तरह जुडी हुयी है.... आत्ममुग्धता और दम्भ की सनक पालने वाले बेवकूफों।
उसके बॉयफ्रेंड (फ़ोटोग्राफ़र ग्राफ़िक डिज़ाइनर मैट लिविंगस्टन) ने कुछ कहने-समझाने के लिए तस्वीर नहीं खींची थी, न ही किसी सस्ती से चीज़ की तरह दिखावे के लिए, न तुम्हें सीख देने के लिए और न ही तुम्हारे ऊपर लानत भेजने के लिए। उसने ये तस्वीर इसलिए ली क्योंकि वो उस जगह की हक़दार है, स्वामिनी है जिसे वो भरती है। भले ही वो छोटी सी जगह ही क्यों न हो जिसमें उसके निप्पल उसके मज़बूत बाज़ुओं, गठे शरीर, तनी ठोड़ी, बेधती नीली आखों और गुलाबी बालों के साथ रहते हैं।
मैट ने ठीक उसी लम्हें में उसे पूरा का पूरा कैद कर लिया तस्वीर में, जब वो सब एक साथ थे। दम भरने वाला लम्हा था।
और मैं एक बार फिर से दोहराऊंगी, क्योंकि ये दोहराये जाने की ज़रूरत है। बार-बार।
ये तुम्हारे बारे में नहीं है, किसी भी तरह से नहीं।
आत्ममुग्धता-और-दम्भ-की-सनक-पालने-वाले-बेवकूफों!!
जब मैं इस तस्वीर को देखती हूँ, मुझे एक नवयुवती नज़र आती है, अपने शरीर की तमाम असरलताओं को, मेरी और तुम्हारी सराहनाओं से कहीं ज़्यादा, सराहती हुयी। बाए हिस्से पर एक स्ट्रोक के बाद उसने अपनी इच्छानुसार भाषाई नियंत्रण और गतिविधि की सरलता खो दी थी। उसने घंटों की कड़ी मेहनत और पेशेवर थेरेपी के बाद इसे फिर से हासिल किया है। स्वस्थ होने के लिए उसने जिन सर्जरियों और पद्धतियों को अपनाया उन्हें शब्दों में बयान कर पाना मेरे लिए नामुमकिन है। उसने बहुत मेहनत से ये शरीर प्राप्त किया है। वो सराहती है इस शरीर को। वो अपनी बुद्धि और बल पर इस शरीर की ज़रूरत है।
जब मैं ये तस्वीर देखती हूँ तो मुझे एक युवती नज़र आती है जो एक स्वार्थी दरिंदे के जिस्मानी आघात से बच के आयी है , जो ये कहती है "नहीं, अब और नहीं", जो ये कहती है "मुझे डर नहीं लगता".
जब मैं ये तस्वीर देखती हूँ तो मुझे एक युवती नज़र आती है जिसने खानेपीने के विकार को पीछे छोड़ा जिसके कारण दिन-ब-दिन मुरझाती हुयी एक दिन वो हमेशा के लिए ग़ायब हो जाती। एक और मुश्किल जीत। वो मज़बूत है। स्वस्थ है। और उतनी बेहतर है जितनी वो हो सकती है। और सबसे ऊपर, अपने शरीर के साथ फिर से दोस्त बन चुकी है।
जब मैं ये तस्वीर देखती हूँ तो मुझे एक युवती नज़र आती है जो पशिचमी तट पर रहती है, जहां अंतर्वस्त्र न पहनना एक तरह से नियम है, बजाय विकल्प के। जहां स्तनों का संकुचन यानी छोटे स्तन स्वस्थ स्तनों की श्रेणी में आते हैं। एक ऐसी लड़की जो अपने शरीर के बारे में सोच समझ कर और जानकारी वाले निर्णय ले रही है।
जब मैं ये तस्वीर देखती हूँ तो मुझे एक युवती नज़र आती है जो उन सबको नकारने की कोशिश में जुटी है जिन्होंने उसे नीचा दिखाने की कोशिश की, जो अपनी जीत को एक लम्हा और जीना चाहती है।
और जब तुम सी तस्वीर को देखते हो, तुम देखते हो, सिर्फ निप्पल।
मेरी स्पष्टवादिता के लिए मुझे माफ़ करना , लेकिन तुम्हारे साथ कुछ दिक्कत है।
या फिर, हो सकता है, शायद हो सकता है, तुम्हें उसकी प्रचंडता दिखाई देती है जो तुम्हे डराती है।
बदलाव की बयार सुई को उल्टा घुमा रही हैं। क्षतिपूर्ति करती हुयी। असमानता ख़त्म करते हुए। असंतुलन मिटाते हुए। मर्दानगी का गढ़ ख़त्म करते हुए।
सीधे शब्दों में कहूँ तो इस तूफ़ान का नाम मैक है। और वो इतनी मज़बूत है कि वो निप्पल्स और ऐसी तमाम बकवासों के बीच अपनी राह बनाते हुए आसानी से चहलकदमी करती हुयी चली जायेगी, इसलिए उसके रास्ते में न आना।
{ये पोस्ट हॉलीवुड की हस्ती क्रिस्टीन लाशेर की ब्लॉग पोस्ट MY DAUGHTER AND HER NIPPLES(HTTP://FINALLYQUIET.COM/MY-DAUGHTER-AND-HER-NIPPLES) का साधारण हिंदी अनुवाद है।}