1)
तारीफ भरी नज़रों से,
देखा जो उन्होंने,
हमें बादलों पर बैठे हुए ,
जिगर को एक मुश्त सुकून मिला ,
वो बात दीगर थी ,
ना वो जान पाए ,
ना हमसे क़ुबूल किया गया ,
कटी पतंगे भी कुछ वक़्त ,
आसमान में रहती ज़रूर हैं ,,,,,
2)
वो हमें समझ बैठे
पहली मुलाकात में ,
कोमल , निर्मल , साफ़ ,
पानी का नदिया ,
हमें भी अच्छा लगा ,
लेकिन शायद ना वो समझे,
ना हम समझा पाए ,
नदिया चाहे जितना भी ठहरे ,
धीमे धीमे बहती ज़रूर है ,,,,,
3)
देख कर हमें ,
एक रोज़ कही अचानक ,
हया से मजबूर हो कर
जो पलकें झुका लें थीं उन्होंने ,
आज तक असर है उसका ,
बात ये और थी के
फिर ना कुछ कहा उन्होंने लबों से,
लेकिन झुकी ही हो फिर भी
एक नज़र कुछ कहती ज़रूर है ..,,,
4)
चाहे जितनी भी खुशियाँ
ला कर रख दो क़दमों में
चाहे जितने भी अरमान
पूरे कर दो इक पल में ,
चाहे जितना खुश हो जाये
वो इक जान उस पल में .
चाहे जितना भी कम कर दो
ग़म उस नादाँ सी जान का
वो औरत ही है जो हर पल ,
कुछ ना कुछ सहती ज़रूर है...
तारीफ भरी नज़रों से,
देखा जो उन्होंने,
हमें बादलों पर बैठे हुए ,
जिगर को एक मुश्त सुकून मिला ,
वो बात दीगर थी ,
ना वो जान पाए ,
ना हमसे क़ुबूल किया गया ,
कटी पतंगे भी कुछ वक़्त ,
आसमान में रहती ज़रूर हैं ,,,,,
2)
वो हमें समझ बैठे
पहली मुलाकात में ,
कोमल , निर्मल , साफ़ ,
पानी का नदिया ,
हमें भी अच्छा लगा ,
लेकिन शायद ना वो समझे,
ना हम समझा पाए ,
नदिया चाहे जितना भी ठहरे ,
धीमे धीमे बहती ज़रूर है ,,,,,
3)
देख कर हमें ,
एक रोज़ कही अचानक ,
हया से मजबूर हो कर
जो पलकें झुका लें थीं उन्होंने ,
आज तक असर है उसका ,
बात ये और थी के
फिर ना कुछ कहा उन्होंने लबों से,
लेकिन झुकी ही हो फिर भी
एक नज़र कुछ कहती ज़रूर है ..,,,
4)
चाहे जितनी भी खुशियाँ
ला कर रख दो क़दमों में
चाहे जितने भी अरमान
पूरे कर दो इक पल में ,
चाहे जितना खुश हो जाये
वो इक जान उस पल में .
चाहे जितना भी कम कर दो
ग़म उस नादाँ सी जान का
वो औरत ही है जो हर पल ,
कुछ ना कुछ सहती ज़रूर है...
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