Thursday 11 April 2013

A naked truth

एक लगभग सवा साल पुरानी कविता ..और उसका सलिल चाचू  का किया हुआ हिंदी अनुवाद ... :) ये मेरे दिल के बेहद करीब है.. वजह ? सलिल चाचू  का अनुवाद ..और मेरी पहली अंग्रेजी कविता। सच !! सलिल चाचू का खूबसूरत अनुवाद, किसी पोस्ट में जान डालना कोई इनसे सीखे :) स्कूल हैं पूरे भावों के !!

एक नंगा सच
दबा एक बर्फ के दरिया के अंदर
गर्मियां आयीं थीं जब
बहता था ये

उन पर्बतों के दरमियाँ से
और चलता था बड़ी रफ़्तार से
गलियों से होकर वो गुज़रता था
समंदर से गले मिलने की चाहत में.
इस सफर में
यह किसी ने भी न देखा
और निगाह डाली नहीं इक शख्स ने
कितने लोगों ने किया अनदेखा उसको
और कुछ लोगों ने उसको रोक कर रखना भी चाहा
पर वो था
चलने पे आमादा
सो चलता ही रहा वो
उसको साहिल पर नहीं रहना था
जाना था उसी फैले समंदर में
दफ़न हो जाना था गहराइयों में उस समंदर के
जो आखिर मिल गया उसको.
वो नंगा सच
उन्हीं गहराइयों में है पड़ा
और है दबा वो रेत के अंदर
चमकता है वो अक्सर मछलियों सा!!

A naked truth
buried under the snow
when came the summer
it started to flow
ran across the mountains
the flow was fast
travelled through lanes
the ocean was the last
 in the journey
nobody noticed
nobody glanced at
many of them overlooked
many of them tranced at
but it was
destined to pass
so it did
to get into mid
of a place so vast
it was ocean ,its depths
which came at last
naked truth is now
lying in the depth
covered with sand's blow
and fishes that glow.

 असली कविता यहाँ पर भी मौजूद है : The Naked Truth

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता.....
    excellent in both the versions...
    सच सलिल दा का जवाब नहीं....

    अनु

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    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया अनु जी ... चाचू की वजह से ये कविता खास हो गयी मेरे लिए, वरना सिर्फ पहली अंग्रेजी कविता के तौर पर कुछ रोज़ याद रहती और फिर भूल जाता

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  2. wow its very nice.....agreed with anu ji ...both the versions r just excellent...(Y)

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