Friday 16 September 2011

बूंदे, ....

बूंदे, ये बारिश की बूंदे ,
लगती हैं कुछ ऐसी गोया ,
हमने पा लिया वो टुकड़ा,
आसमां के दिल ना था जो खोया ,

बूँदें, ये बारिश की बूँदें ..
बताती हैं  हमको,
कितना बेचैन है ये शफक,
लगता है बरसों से
एक पल भी नहीं सोया ,

बूँदें, ये बारिश की बूँदें ..
कहतीं हैं हमसे ,
भटक रहा है एक आवारा,
कहते  हुए,कोई ऐसा ना रोया ,

बूँदें, ये बारिश की बूँदें ..
छप्प से गिरती,बताती हैं दुनिया को ,
दर्द के कतरे हैं हम,
मस्तमौला कौन हम सा होया ,

बूँदें, ये बारिश की बूँदें ..
सिखाती हैं पल पल ,
दर्द का बोझ बादलों ने ,
ख़ुशी ख़ुशी , घुमते फिरते हैं  ढोया,

बूँदें, ये बारिश की बूँदें ..
बोलती हैं दुनिया से ,
हम फल हैं उन बदल क पेड़ों के
जिन्हें धरा ने इक साथी की उम्मीद में था बोया ....

3 comments:

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