आज अचानक यूं ही
दिल के तहखाने में
उतरा तो देखा
तरह तरह की कितनी
यादें पड़ी हुयी हैं
लेकिन उनमे सबसे अलग
तुम्हारे नाम का एक संदूक,
एक कोने में कुछ यूं रखा है,
मानो कल ही आया हो यहाँ,
खोला तो देखा के ,
तुम्हारी एक तस्वीर है,
एक आहट भी कैद थी,
तुम्हारे पांवों की,
साथ ही एक खनकती हुयी
खिलखिलाहट भी मौजूद थी,
तुम्हारी खुसबू के साथ
तभी ख्याल आया
इस संदूक पे ताला नहीं है
फिर भी ये ना जाने क्यों,
बरसों से बंद पड़ा था.....
दिल के तहखाने में
उतरा तो देखा
तरह तरह की कितनी
यादें पड़ी हुयी हैं
लेकिन उनमे सबसे अलग
तुम्हारे नाम का एक संदूक,
एक कोने में कुछ यूं रखा है,
मानो कल ही आया हो यहाँ,
खोला तो देखा के ,
तुम्हारी एक तस्वीर है,
एक आहट भी कैद थी,
तुम्हारे पांवों की,
साथ ही एक खनकती हुयी
खिलखिलाहट भी मौजूद थी,
तुम्हारी खुसबू के साथ
तभी ख्याल आया
इस संदूक पे ताला नहीं है
फिर भी ये ना जाने क्यों,
बरसों से बंद पड़ा था.....
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